What is Bounce Rate in Hindi: बाउंस रेट क्या होता है

बाउंस रेट जिससे हर कोई ब्लॉगर बचना चाहता है, यह एक ऐसी matrix जिसका अधिक होना ब्लॉगर के लिए चिंता का विषय बन जाता है. किसी भी ब्लॉगर का सामना कभी न कभी बाउंस रेट से जरुर होता है, पर क्या आप जानते हैं आखिर यह बाउंस रेट क्या होता है (What is Bounce Rate in Hindi)?  इसका अधिक होना ब्लॉग के लिए नुकसानदायक क्यों है ? और बाउंस रेट को कम कैसे किया जाता है ?

अगर आप इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़िए , इसमें मैंने आपको 5 सबसे अच्छे तरीके बताएं हैं जिनके द्वारा बाउंस रेट को कम किया जा सकता है. तो चलिए बिना देरी के शुरू करते हैं यह आर्टिकल और जानते हैं बाउंस रेट क्या है विस्तार से.

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बाउंस रेट क्या है (What is Bounce Rate in Hindi)

Bounce Rate दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें बाउंस का मतलब होता है उछलना या कूदना, और रेट का मतलब होता है प्रतिशत या दर. एक ब्लॉग या वेबसाइट के लिए बाउंस रेट का मतलब होता है उछल – कूद की दर या औसत.

जब भी कोई विजिटर हमारी वेबसाइट पर आता है और वह सिर्फ एक पेज को पढने के बाद, बिना दूसरा पेज को पढ़े हमारी वेबसाइट से तुरंत वापस चला जाता है या कहें तो हमारी साईट से Exit कर लेता है तो इसे बाउंस कहते हैं. और इसी प्रकार हुए बाउंस की औसत माप को ही बाउंस रेट कहते हैं.

बाउंस रेट की परिभाषा (Definition of Bounce Rate in Hindi)

हम बाउंस रेट को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं.

“किसी भी वेबसाइट में वे visitor जो किसी एक वेबपेज को देखने के बाद वेबसाइट से एग्जिट कर लेते हैं उन visitor की संख्या के औसत माप को बाउंस रेट कहते हैं.”

माना जैसे किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 60 प्रतिशत है तो इसका मतलब है कि 60 प्रतिशत visitor ऐसे हैं जो एक webpage को देखने के बाद साईट से चले जाते हैं.

बाउंस रेट का SEO पर प्रभाव (Bounce Rate Effect in SEO)

अभी तक हम समझ गए हैं कि What is Bounce Rate in Hindi, अब जानते हैं कि बाउंस रेट अधिक होने से वेबसाइट की रैंकिंग में क्या प्रभाव पड़ता है. जब भी किसी वेबसाइट का बाउंस रेट अधिक होता है तो सर्च इंजन को यह संकेत जाता है कि यह वेबसाइट अच्छी नहीं है, और इस पर अच्छा कंटेंट नहीं है.

जब सर्च इंजन को नकारात्मक चीजे देखने को मिलेंगी तो उससे वेबसाइट की रैंकिंग गिरने लगेगी. और वेबसाइट पर ट्रैफिक भी बहुत कम होगा, ट्रैफिक कम होने का मतलब है कि ब्लॉग से कमाई भी नहीं हो पायेगी. इसलिए बाउंस रेट को मैनेज करना बहुत जरुरी है.

बाउंस रेट का अधिक होना हर समय वेबसाइट के लिए ख़राब Signal नहीं होता है, क्योंकि कई यूजर वेबपेज पर आते हैं और अपने मतलब कि जानकारी को पढ़कर Exit कर लेते हैं. यहाँ पर यूजर को अपनी Query का संतोषपूर्ण जवाब मिल गया है. लेकिन वेबसाइट का बाउंस रेट बढ़ गया है.

यहाँ पर Concept आता है Pogo sticking का. इस Case में गूगल यह देखता है कि यूजर कितनी देर तक वेबसाइट पर रुका और क्या वह Same Query के लिए वह किसी दुसरे वेबसाइट पर गया. Pogo sticking वेबसाइट की रैंकिंग के लिए हमेशा एक ख़राब Signal होता है लेकिन बाउंस रेट हर बार नहीं.

बाउंस रेट को कम कैसे करें

अब जानते हैं बाउंस रेट को कम कैसे किया जाता हैं, जितना मैंने अपने अनुभव से देखा है मैं उनमे से सबसे बेहतर पांच तरीके आपके साथ साझा करूँगा जिससे कि किसी भी वेबसाइट के बाउंस रेट को कम किया जा सकता है, आइये जानते हैं क्या हैं वे तरीके –

1 – Internal Linking बेहतर तरीके से करें 

Internal linking सबसे महत्वपूर्ण होता है बाउंस रेट को मैनेज करने के लिए. अपने आर्टिकल में हमेशा related पोस्ट को ही लिंक करना चाहिए. जैसे मेरा यह पोस्ट बाउंस रेट पर हैं जो SEO से सम्बंधित है, और मैंने इस पोस्ट में SEO से सम्बंधित आर्टिकल को ही लिंक किया है.

ऐसे में ज्यादा संभावना बनती है कि visitor दुसरे पोस्ट में भी जायेगा. अगर मैं इस आर्टिकल में इन्टरनेट से सम्बंधित या मोबाइल से सम्बंधित आर्टिकल को लिंक करूँ तो कोई भी visitor इस प्रकार की पोस्ट में नहीं जायेगा क्योकि वह SEO के बारे में जानना चाहता है.

2 – वेबसाइट को Good Looking बनायें

वेबसाइट का look भी visitor का ध्यान खीचने के एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिस वेबसाइट की डिजाईन जिनती सरल और अच्छी होगी उस वेबसाइट में visitor रुकना पसंद करेंगे और उस साईट पर ही घूमते रहेंगे. वेबसाइट का अच्छा look बनाने के लिए कोई भी Simple Theme का प्रयोग कर सकते हैं.

अगर आपका ब्लॉग वर्डप्रेस पर है तो आप Generatepress जैसी Lightweight और Responsive थीम का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे आपकी वेबसाइट की स्पीड भी बढ़ेगी, और वेबसाइट साफ़ – सुधरी भी दिखती है.

इसके अलावा आप अपने Content की Formatting और Font में भी ध्यान दें. कंटेंट का font न तो बहुत अधिक होना चाहिए न ही बहुत कम. 16 और 18Px Font Size सबसे बेहतर हैं .

3 – Content को बेहतर और User Friendly बनायें

सबसे महत्वपूर्ण होता है वेबसाइट का कंटेंट. कंटेंट को मैं वेबसाइट के look और Internal link से ऊपर रखूँगा. जिस वेबसाइट पर अच्छा कंटेंट नहीं है उसमे कोई भी visitor आना पसंद नहीं करेगा. कंटेंट हमेशा User Friendly होना चाहिए जिससे विजिटर को पढने में आनंद आये और वह वेबसाइट से कुछ नया सीख सके.

4 – Page Speed को सही रखें

आपने कंटेंट तो अच्छा लिख लिया पर, क्या हो अगर आपकी वेबसाइट लोड होने में बहुत अधिक समय लेती है. आप अच्छे से जानते हैं कि आज के समय में इन्टरनेट पर 5 सेकंड का समय भी बहुत होता है.

You Tube पर आपने देखा भी होगा एक विडियो में 5 सेकंड का ऐड देखना कितना लम्बा लगता है. ऐसे में अगर आपकी वेबसाइट को लोड होने में 6 – 7 सेकंड का समय लग जाता है तो आप अपने बहुत अधिक visitor को खो दोगे.

2 से 3 सेकंड के लोडिंग समय वाली वेबसाइट को अच्छी स्पीड वाली वेबसाइट में गिना जाता है. वही 6 से ऊपर की लोडिंग टाइम वाली वेबसाइट को साधारण लोडिंग समय वाली वेबसाइट में शामिल किया जा सकता है. और 7 सेकंड से ऊपर के लोडिंग स्पीड वाली वेबसाइट को सबसे बेकार लोडिंग स्पीड वाली वेबसाइट में शामिल किया जायेगा. इसलिए वेबसाइट को हमेशा Well Optimize रखें.

स्पीड बढाने के साथ वेबसाइट को Mobile Friendly बनाना भी बहुत जरुरी हैं, क्योकि अब ज्यादातर लोग मोबाइल से ही ब्लॉग पढ़ते हैं. वेबसाइट की अच्छी स्पीड भी बाउंस रेट को कम करने में बहुत मददगार साबित होती है.

5 – अपने विजिटर को पहचाने

आपको कंटेंट अपने Visitor के अनुसार ही बनाना चाहिए. महीने में कम से कम 2 बार यह जरुर Analysis करें कि लोग आपकी वेबसाइट पर किस प्रकार के कंटेंट को ज्यादा पढ़ रहे हैं, किस कंटेंट पर ज्यादा देर तक रुकते हैं आदि. और फिर उनके अनुसार ही आर्टिकल लिखें. यह Analyses करने के लिए आप Google Analytics और Google Search Console की मदद ले सकते हैं.

जब आप अपनी ऑडियंस को ध्यान में रखते हुए आर्टिकल लिखेंगे तो वे आपके ब्लॉग पर अधिक कंटेंट को पढेंगे और इससे आपके वेबसाइट का बाउंस रेट कम होगा.

वेबसाइट का बाउंस रेट कितना होना चाहिए?

इसका कोई सटीक जवाब नहीं हैं, वैसे आज के समय में कोई भी यूजर बस अपनी काम की चीज पढ़ते हैं फिर वापस चले जाते हैं ऐसे में लगभग सभी वेबसाइट का बाउंस रेट अधिक होता है. 40 से 70 प्रतिशत तक बाउंस रेट वाली वेबसाइट को आदर्श माना जाता है. दुनिया की अधिकतर वेबसाइट इसी श्रेणी में आते हैं.

अगर  किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 1 से 20 प्रतिशत तक है तो वह सबसे कामयाब वेबसाइट है और किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 80% से अधिक है तो उस वेबसाइट पर काम करने की बहुत जरुरत है. एक ब्लॉग के लिए 50 से 70 प्रतिशत का बाउंस रेट बेहतर हैं.

अपनी वेबसाइट बाउंस रेट कैसे चेक करें ?

अगर आप किसी भी वेबसाइट का बाउंस रेट चेक करना चाहते हैं तो आप Google में Bounce rate checker सर्च कर सकते हैं, आपको बहुत सारे टूल मिल जायेंगे जो आपको सभी वेबसाइट का बाउंस रेट आसानी से बता देंगे.

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निष्कर्ष: बाउंस रेट क्या है

इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने आपको आसान शब्दों में बताया बाउंस रेट क्या होता है (What is Bounce rate in Hindi) और इसको कम कैसे करें, उम्मीद करता हूँ यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.

अगर आपके कोई सवाल हैं तो आप कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकते हैं, मैं जल्दी ही आपके सवालों का जवाब देने की कोशिस करूँगा. अंत में आपसे निवेदन करूँगा कि इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.

लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद||

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Hey Friends, I am Devendra Rawat. I am Blogger|| Hinditechdr.com Blog बनाने का मेरा यही मकसद है कि Hindi Readers को Blogging, SEO, Internet आदि की सटीक जानकारी हिंदी भाषा में प्रदान करा सकूँ. मेरे Blog पर आने के लिए धन्यवाद ||

5 thoughts on “What is Bounce Rate in Hindi: बाउंस रेट क्या होता है”

  1. जो ब्लॉगर BOUNCE RATE कम नहीं कर पा रहें हैं, उनके लिए बेहतरीन आर्टिकल है। इस पोस्ट को जरूर पढ़ें वो।

    Thanks Rawat जी 😊😊

    Reply

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