Core Web Vitals क्या है – LCP, FID और CLS को समझें

Core Web Vitals Kya Hai – वेबसाइट की स्पीड गूगल सर्च इंजन में अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने के लिए हमेशा से एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है. वेबसाइट की स्पीड को बेहतर करने के लिए गूगल ने 28 मई, 2020 को Core Web Vitals नाम से एक मेट्रिक्स को introduced किया, जो कि एक important रैंकिंग सिग्नल होने वाला है.

गूगल अपने यूजर को अच्छा अनुभव प्रदान करने के लिए अपने अल्गोरिथम को अपडेट करते रहता है, Core Web Vitals भी इसी का एक हिस्सा है और अभी के समय में यह टॉपिक ब्लॉगर और SEO पेशेवरों के बीच चर्चा में बना हुआ है.

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लेकिन अभी भी कई सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें Core Web Vitals के बारे में जानकारी नही है. यदि आपको भी Core Web Vitals के बारे में जानकारी नहीं है तो चिंता करने की कोई बात नहीं क्योंकि इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको कोर वेब वाइटलस के बारे में A to Z जानकारी देंगें.

इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Core Web Vitals क्या है, वेबसाइट की रैंकिंग के लिए यह क्यों जरुरी है और Core Web Vitals Issue फिक्स कैसे करें. तो चलिए दोस्तों आपका अधिक समय ना लेते हुए शुरू करते हैं आज का यह आर्टिकल.

कोर वेब वाइटलस क्या है (What is Core Web Vitals)

Core Web Vitals गूगल के Page Experience Update का एक मेट्रिक्स है, जिसका उपयोग गूगल वेबसाइट के Page Experience को मापने के लिए करता है.

Core Web Vitals 3 महत्वपूर्ण फैक्टर LCP, FID और CLS से मिलकर बना हुआ हैं और यह वेबसाइट की स्पीड, responsiveness और visual stability को मापते हैं.

गूगल ने 28 मई, 2020 को Core Web Vitals को Globally लांच किया था, और जून 2021 तक यह एक महत्वपूर्ण रैंकिंग सिग्नल बन गया. Core Web Vitals सभी ब्लॉग, वेबसाइट और उनके वेबपेजों पर लागू किया जाता है.

सभी ब्लॉगर और वेबसाइट के मालिकों को अपनी वेबसाइट का Core Web Vitals मेन्टेन करना बहुत important है.

कोर वेब वाइटल के पैरामीटर (Core Web Vitals Parameter)

Core Web Vitals मुख्य रूप से तीन चीजों से मिलकर बना है LCP, FID और CLS.

यह तीनों फैक्टर मिलकर कोर वेब वाइटल बनाते हैं, और इन तीनों फैक्टर के द्वारा ही गूगल आपको बताता है कि मोबाइल और डेस्कटॉप में आपके कौन से URL सही हैं और किन URL में आपको सुधार करने की जरुरत है.

Core Web Vitals को अच्छे से समझने के लिए आपको इन तीनों फैक्टर को समझना जरुरी है, लेख में आगे हमने आपको कोर वेब वाइटल के तीनों फैक्टर LCP, FID और CLS को अच्छे से समझाया है.

#1. LCP (Largest Contentful Paint)

LCP जिसका कि फुल फॉर्म Largest Contentful Paint होता है. आपकी वेबसाइट में जो सबसे बड़ा हिस्सा है वह लोड होने में कितना समय लेता है इसका Measurement LCP के द्वारा किया जाता है.

आमतौर पर वेबपेज या वेबसाइट का सबसे Largest भाग इमेज या विडियो होती है, LCP यह measure करता है कि वेबपेज के Largest भाग को लोड होने में कितना समय लगता है.

गूगल की गाइडलाइन के अनुसार आपकी वेबसाइट का LCP Score 2.5 सेकंड होना चाहिए.

यदि आपकी वेबसाइट का LCP Score 2.5 से 4.5 के बीच है तो गूगल इसे Need Improvement की केटेगरी में डाल देता है यानि कि आपको LCP स्कोर में सुधार करने की जरुरत है.

और यदि आपकी वेबसाइट का LCP Score 4.5 सेकंड से अधिक है तो यह बहुत Poor है, इसे आपको जल्दी से जल्दी improve करने की जरूरत है.

#2. FID (First Input Delay)

FID का फुल फॉर्म First Input Delay होता है. जब कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर विजिट करता है और वह किसी भी element जैसे बटन, लिंक, इमेज आदि पर क्लिक करता है तो एलिमेंट Respond करने में कितना समय लेता है इसे FID के द्वारा measure किया जाता है.

जैसे कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर आया और उसने किसी बटन पर क्लिक किया, यूजर के क्लिक करने से लेकर वेबसाइट के Respond देने के टाइम पीरियड को FID कहते हैं.

गूगल की गाइडलाइन के अनुसार अगर आपकी वेबसाइट का FID Score 100 MS (मिलीसेकंड) के अंदर है तो यह Good Category में आता है.

यदि आपकी वेबसाइट का FID Score 100 MS से लेकर 300 MS के बीच है तो गूगल इसे Need Improvement की केटेगरी में रखता है.

और अगर आपकी वेबसाइट का FID Score 300 MS से अधिक है तो इसे Poor केटेगरी में रखा जाता है, और आपको इसमें काफी सुधार करने की आवश्यकता है.

#3. CLS (Cumulative Layout Shift)

CLS का फुल फॉर्म Cumulative Layout Shift होता है. जब कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर आता है और वह किसी element पर क्लिक करना चाहता है या आर्टिकल पढना चाहता है लेकिन Suddenly कोई एलिमेंट आ जाता है जिससे वेबसाइट का Layout Shift हो जाता है, इसे CLS कहते हैं.

उदाहरण के लिए माना आपने गूगल एडसेंस के एड् अपनी वेबसाइट में लगाए हैं, और कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर विजिट करता है तो पहले उसे एड् नहीं दिखती है, क्योंकि एड् को लोड होने में थोडा समय लगता है.

लेकिन जैसे ही वह किसी लिंक पर क्लिक करना चाहता है तो अचानक से एड् दिखती है जिससे कि वह लिंक अपने स्थान से ऊपर या नीचे शिफ्ट हो जाता है इसे ही CLS कहते हैं. CLS के द्वारा यह measure किया जाता है कि वेबसाइट का Layout कितना शिफ्ट हो रहा है.

गूगल के अनुसार यदि किसी वेबसाइट का Layout 0.1 शिफ्ट होता है तो यह Good की केटेगरी में आता है.

अगर वेबसाइट का Layout 0.1 से लेकर 0.25 तक शिफ्ट होता है तो गूगल इसे Need Improvement की केटेगरी में डालता है.

और अगर वेबसाइट का Layout 0.25 से अधिक शिफ्ट होता है तो गूगल इसे Poor की केटेगरी में डालता है.

आर्टिकल को यहाँ तक पढने पर आप समझ गए होंगें कि Core Web Vitals Kya Hai, चलिए अब समझते हैं यह क्यों जरुरी है और इसमें आने वाले issue को फिक्स कैसे करते हैं.

Core Web Vitals क्यों जरुरी है?

आपकी वेबसाइट के रैंकिंग के लिए Core Web Vitals बहुत ही important फैक्टर है. क्योंकि Core Web Vitals का सीधा संबंध वेबसाइट स्पीड से है, और आज के समय में किसी भी वेबसाइट की रैंकिंग के लिए स्पीड एक महत्वपूर्ण फैक्टर है.

कोई भी यूजर ऐसी वेबसाइटों में जाना पसंद नहीं करते हैं जो लोड होने में बहुत अधिक समय लेती है, आज के टाइम में यूजर इन्टरनेट पर वेबसाइटों को फ़ास्ट एक्सेस करना चाहते हैं. इसलिए अच्छे User Experience के लिए वेबसाइट की स्पीड को फ़ास्ट करना आवश्यक है.

Core Web Vitals आपको जानकारी देता है कि किन कारणों से आपकी वेबसाइट की स्पीड खराब है, और आप उन मेट्रिक्स को Improve करके अपने वेबसाइट की स्पीड को Increase कर सकते हैं. इससे आपको रैंकिंग में काफी फायदा मिलेगा. गूगल ने भी इस बात की घोषणा की थी कि जून 2021 तक Core Web Vitals एक महत्वपूर्ण रैंकिंग सिग्नल बन जायेगा.

यदि आपकी वेबसाइट के सभी URL का Core Web Vitals Poor केटेगरी में है तो गूगल पर आपकी वेबसाइट की रैंकिंग बहुत डाउन रहेगी, इसलिए Core Web Vitals बहुत महत्वपूर्ण हो जाता हैं, आपको इसे Improve करना चाहिए.

Core Web Vitals की रिपोर्ट कैसे देखें?

आप Google Search Console से Core Web Vitals की कम्पलीट रिपोर्ट देख सकते हैं, इसके लिए निम्नलिखित प्रोसेस को फॉलो करें –

  • सबसे पहले आप अपने Google Search Console अकाउंट में Log In कर लीजिये.
  • अब उस वेबसाइट को सेलेक्ट करें जिसकी आप Core Web Vitals रिपोर्ट देखना चाहते हैं.
  • यहाँ पर आपको Left Side में Experience वाले सेक्शन में Core Web Vitals का ऑप्शन मिलेगा आप इस पर क्लिक कर लीजिये.
  • इतना करते ही आपकी स्क्रीन पर Core Web Vitals की report आ जायेगी. यहाँ से आप देख सकते हैं कि आपके मोबाइल और डेस्कटॉप में कितने URL Good की केटेगरी में हैं, कितने URL Need Improvement में और कितने URL Poor केटेगरी में हैं.
  • आप Mobile और Desktop के सामने Open Report पर क्लिक करके चेक कर सकते हैं आपके URL का स्कोर किस कारण से कम है.

इस प्रकार से आप गूगल सर्च कंसोल में लॉग इन करके अपनी वेबसाइट का Core Web Vitals report निकाल सकते हैं.

Core Web Vitals Issue Fix कैसे करें?

यदि आपकी वेबसाइट में Core Web Vitals के issue आ रहे हैं तो आप इन्हें आसानी से फिक्स कर सकते हैं.

इसके लिए आपको सबसे पहले चेक करना पड़ेगा कि आपकी वेबसाइट में यह Issue किस कारण आ रहा है, जो कि आपको गूगल सर्च कंसोल में देखने को मिल जायेगा.

Core Web Vitals में Issue मुख्य रूप से तीन कारणों से ही आता है LCP, FID और CLS.

जब आप पता कर लेंगें कि किस मैट्रिक्स की वजह से आपकी वेबसाइट में Core Web Vitals Issue आ रहा है तो फिर आपको Google Page Speed insight में अपने वेबसाइट का URL इंटर करके सर्च करना है. यह टूल आपको बता देता है कि आपको अपनी वेबसाइट की स्पीड को फ़ास्ट करने के लिए क्या – क्या सुधार करने की जरुरत है.

आप निम्नलिखित कुछ पॉइंट को फॉलो करके अपनी वेबसाइट का Core Web Vitals Issue फिक्स कर सकते हैं.

  • अच्छी और फ़ास्ट वेब होस्टिंग खरीदें.
  • इमेज को ऑप्टिमाइज़ करें.
  • वेबसाइट में सही फॉण्ट का इस्तेमाल करें
  • Java Script, CSS को Minify करें.
  • Unused Java Script और CSS को Remove करें.
  • वेबसाइट में Ad Placement सही तरीके से करें.
  • वेबसाइट का डिजाईन सिंपल रखने की कोशिस करें.

यह सब फिक्स करने के बाद आपको गूगल सर्च कंसोल में Core Web Vitals के सेक्शन में आना है, और Validate Fix पर क्लिक करना है. बस इतना करते ही कुछ दिनों में आपका यह Issue Solve हो जायेगा.

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Conclusion: Core Web Vitals Kya Hai

दोस्तों हमें पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढने के बाद आप भी Core Web Vitals Kya Hai को अच्छी प्रकार से समझ गए होंगें, और Core Web Vitals से जुड़े आपके सभी Confusion दूर हो गए होंगें.

यदि अभी भी आपके मन में इस लेख से जुड़े कोई सवाल हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हम जल्दी आपके सवालों का जवाब देने की कोशिस करेंगें. साथ ही इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद||

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3 thoughts on “Core Web Vitals क्या है – LCP, FID और CLS को समझें”

  1. FID smj nhi aa rha ap ise screenshot se smjane ki kosis kre to jada acha smj ayega please ese update kre. thank you,

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